तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे भाषा के विशेषज्ञ पढ़कर कहें कि ये कलम का छोटा सिपाही ऐसा है तो भीष्म साहनी, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', हरिवंश राय बच्चन, फणीश्वर नाथ रेणु आदि कैसे रहे होंगे... गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.

LATEST:


‘गुरु पूर्णिमा’ पर ‘गुरु छाया’


आषाढ शुक्ल पूर्णिमा को ‘गुरु पूर्णिमा’ एवं ‘व्यास पूर्णिमा’ कहते हैं। गुरु पूर्णिमा गुरु पूजन का दिन होता है। इस बार यह खास गुरु पर्व 3 जुलाई यानी आगामी मंगलवार को आ रहा है। तो इस बार हमारे साथ चलिए गुरु के आशिर्वाद की छाया की ओर।

गुरु पूर्णिमा का एक अनोखा महत्त्व भी है। अन्य दिनों की तुलना में इस तिथि पर गुरुतत्त्व सहस्र (हजार)गुना अधिक कार्यरत होता है। इसलिए इस दिन किसी भी व्यक्ति द्वारा जो कुछ भी अपनी साधना के रूप में किया जाता है, उसका फल भी उसे सहस्र गुना अधिक प्राप्त होता है।

गुरुपूर्णिमा को ‘व्यासपूर्णिमा’ भी कहते हैं और गुरु पूर्णिमा पर सर्वप्रथम व्यास पूजन किया जाता है। एक वचन है – ‘व्यासोच्छिष्ठम् जगत् सर्वंम्।’ इसका अर्थ है, विश्व का ऐसा कोई विषय नहीं, जो आदिगुरु महर्षि व्यासजी का उच्छिष्ट या जूठन नहीं है; अर्थात कोई भी विषय आदिगुरु महर्षि व्यासजी द्वारा अनछुआ नहीं है। आदिगुरु महर्षि व्यासजी ने चार वेदों का वर्गीकरण किया। उन्होंने अठारह पुराण, महाभारत इत्यादि ग्रंथों की रचना की है।

गुरुपूर्णिमा उत्सव मनाने की पद्धति

सर्व संप्रदायों में गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया जाता है। यहां पर महत्त्वपूर्ण बात यह है कि,गुरु एक तत्त्व है। देह से भले ही गुरु भिन्न दिखाई देते हों; परंतु गुरुतत्त्व तो एक ही है। संप्रदायों के साथ ही विविध संगठन तथा पाठशालाओं में भी गुरुपूर्णिमा महोत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

ऐसे करें गुरु पूजा

इस दिन (गुरु पूजा) प्रात:काल स्नान पूजा आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण कर गुरु के पास जाना चाहिए। उन्हें ऊंचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर पुष्पमाला पहनानी चाहिए। इसके बाद वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर तथा धन भेंट करना चाहिए। इस प्रकार श्रद्धापूर्वक पूजन करने से गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गुरु के आशीर्वाद से ही विद्यार्थी को विद्या आती है। उसके हृदय का अज्ञानता का अन्धकार दूर होता है। गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है। संसार की संपूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती हैं और गुरु के आशीर्वाद से ही दी हुई विद्या सिद्ध और सफल होती है। इस पर्व को श्रद्धापूर्वक मनाना चाहिए, अंधविश्वासों के आधार पर नहीं।